सर आइजैक न्यूटन, आयुष कुमार कक्षा 8 ‘स’ के द्व ारा।

पुस्तक समीक्षा
लेखक :- राजवीर सिंह ‘दार्शनिक’
शीर्षक :- सर आइजैक न्यूटन
पुस्तक संख्या :- 4111
मूल्य :- ₹99
प्रकाशन :- पी.एम. पब्लिकेशंस

सारांश :- सर आइजैक न्यूटन अब तक के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धान्त की खोज की । वे एक महान गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। उनके काम ने आधुनिक विज्ञान की नींव रखी और ब्रह्मांड की हमारी समझ को आकार देने में मदद की। न्यूटन का जन्म 4 जनवरी, 1643 को इंग्लैंड के वूलस्थोर्पे (Woolsthorpe) में हुआ था। उसके जन्म से तीन महीने पहले ही उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। जब वह तीन साल के थे तब उनकी मां ने दोबारा शादी कर ली और उन्हें अपने दादा-दादी के पास रहने के लिए भेज दिया गया। न्यूटन ने गणित और विज्ञान के लिए शुरुआती अभिरुचि दिखाई। उन्होंने ग्रांथम (Grantham) में किंग्स स्कूल (King’s School ) में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने गणित और भौतिकी में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 1661 में, उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (Cambridge University) के ट्रिनिटी कॉलेज (Trinity College ) में भर्ती कराया गया।

कैम्ब्रिज में, न्यूटन ने गणित और प्राकृतिक दर्शन (natural philosophy) (the forerunner of physics)) का अध्ययन किया। वह विशेष रूप से खगोलशास्त्री जोहान्स केपलर (Astronomer Johannes Kepler) के काम में रुचि रखते थे, जिन्होंने ग्रहों की गति के तीन नियम (Three laws of Planetary Motion) विकसित किए थे। न्यूटन ने गणितज्ञ रेने डेसकार्टेस (mathematician René Descartes) के काम का भी अध्ययन किया, जिन्होंने गणितीय विश्लेषण की एक नई पद्धति विकसित की थी। 1665 में, ग्रेट प्लेग महामारी के चलते न्यूटन अपने शहर वूल्स्थोर्पे (Woolsthorpe) लौट आए और अगले दो साल बिलकुल अकेले रहे और उस दौरान, उन्होंने गति के नियम (Laws of Motion) और सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण (Universal Gravitation) के नियम सहित अपनी कुछ सबसे महत्वपूर्ण खोजें कीं ।
1667 में न्यूटन कैंब्रिज लौट आए और अपनी डिग्री पूरी की। उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज (Trinity College) का फेलो चुना गया और उन्होंने गणित (mathematics) और प्राकृतिक दर्शनशास्त्र (natural philosophy) पढ़ाना शुरू किया।
1687 में, न्यूटन ने अपनी उत्कृष्ट कृति, द फिलोसोफिक नेचुरलिस प्रिंसिपिया मैथेमेटिका (प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत) Philosophic Naturalis Principia Mathematica (Mathematical Principles of Natural Philosophy) प्रकाशित की। इस काम ने शास्त्रीय यांत्रिकी (classical mechanics) की नींव रखी, जो गति और उसके कारणों का अध्ययन है । प्रिन्सिपिया (Principia ) को अब तक लिखे गए सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कार्यों में से एक माना जाता है।
न्यूटन ने प्रकाशिकी (optics) में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया (प्रकाशिकी – optics भौतिकी की वह शाखा है जो प्रकाश के व्यवहार और गुणों का अध्ययन करती है, जिसमें पदार्थ के साथ इंटरेक्शन और इसका उपयोग करने या इसका पता लगाने वाले उपकरणों का निर्माण शामिल है। ) । 1666 में उन्होंने पता लगाया कि सफेद रोशनी रंगों के मिश्रण से बनी होती है। उन्होंने रिफ्लेक्टिंग टेलिस्कोप (reflecting telescope) का भी आविष्कार किया, जो एक प्रकार का टेलिस्कोप है जो प्रकाश को परावर्तित करने के लिए दर्पण का उपयोग करता है।
एक दिन न्यूटन एक पेड़ के नीचे बैठे थे और अचानक ऊपर से एक सेब गिरा तभी न्यूटन सोचने लगे यह सेब नीचे क्यों गिरा, ऊपर क्यों नहीं गया। वह काफी देर से बैठकर यही सोच रहे थे। बहुत देर तक सोचने और विचारने के बाद उन्होंने प्रयोग करके पता लगाया कि जो चीज ऊपर है वह नीचे आएगी। जब तक गुरुत्वाकर्षण बल रहेगा तब तक वह चीज नीचे आएगी जब गुरुत्वाकर्षण बल खत्म हो जाएगा तो वो चीज वही तैरने लगेगी। इस प्रकार न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज की।

नैतिक मूल्य :- हमारी आंतरिक जीत और सफलता की भावना हमें आगे बढ़ने की सामर्थ्य प्रदान करती है। हमारी सोच, आत्मविश्वास और सामरिकता प्रभावित हो सकती है। हमें खुद को विश्वासयोग्य बनाना चाहिए और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए।

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